केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने स्कूलों से बहुभाषी शिक्षा को वास्तविकता बनाने के लिए शिक्षा के वैकल्पिक माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं का उपयोग करने पर विचार करने को कहा है

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीबीएसई के इस कदम की सराहना करते हुए बधाई दी है।

उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि अपने सभी विद्यालयों में बालवाटिका से कक्षा 12वीं तक भारतीय भाषाओं में शिक्षा का विकल्प उपलब्ध कराने के लिए सीबीएसई को बधाई देता हूं

NEP की परिकल्पना के अनुरूप यह विद्यालयों में भारतीय भाषा आधारित शिक्षा को बढ़ावा देगा

शिक्षा में बेहतर outcomes की दिशा में यह एक अच्छी शुरुआत है।

सीबीएसई के निदेशक (शैक्षणिक) जोसेफ इमैनुएल ने स्कूलों को लिखे एक पत्र में कहा, "बहुभाषावाद को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए कुछ चुनौतियां आ सकती हैं

इसमें सबसे प्रमुख बाधा संबंधित भाषा में शिक्षकों की उपलब्धता, बहुभाषिक पाठ्यपुस्तकें, समय सीमा आदि का जिक्र किया गया है

स्कूल उपलब्ध संसाधनों का पता लगा सकते हैं, क्षेत्र के विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं

सीबीएसई स्कूलों में बहुभाषी शिक्षा को वास्तविकता बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए अन्य स्कूलों के साथ सहयोग कर सकते हैं

बोर्ड ने बहुभाषी शिक्षा के कार्यान्वयन और शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा के उपयोग से उत्पन्न चुनौतियों पर ध्यान दिया

जिसमें बहुभाषी विषयों को पढ़ाने में सक्षम कुशल शिक्षकों की उपलब्धता, उच्च गुणवत्ता वाली बहुभाषी पाठ्यपुस्तकों का निर्माण और समय सीमा, विशेष रूप से दो-पाली वाले सरकारी स्कूलों में शामिल हैं

सीबीएसई ने कहा, "एनसीईआरटी ने इस गंभीर कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर लिया है

अगले सत्र से सभी छात्रों को 22 अनुसूचित भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जा सकें।"